औरत एक शक्ति - भाग 1 Shubhi Gupta द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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औरत एक शक्ति - भाग 1

एक आदमी ने सामने एक औरत के बाल पकड़े हुए थे और वो औरत दर्द से करहाराही थी।छोड़ो दो मुझे मत मारो तुम्हे पैसे चाहिए है ना। यह लो पैसे लिकेन मुझे छोड़ दो। यह तुम्हारा भी तो बच्चा है। उसके लिए छोड़ दो।
वो आदमी उसे धक्का देते हुए। पैसे गिनते हुए जा रहा हु मे। यह कहेके. वो वहा से चला जाता है। और वही औरत उठते हुए अपने पेट पे हाथ रखकर मेरा बच्चा तू चिंता मत करो मे हु तेरे साथ। यह कहेके वो अपने असू पाउच लेती है।
यह है पंखुरी और जो इसे मर रहा था वो था उसका पति केशव जो की उसे खूब मरता था.
क्युकी पंखुरी काम करती थी। और केशव उसे पैसे लेने के लिए मरता था।
पंखुरी 9 मंथ प्रेग्नेंट थी। उसको कभी भी बच्चा हो सकता था। लिकेन केशव यह बात समझता ही नहीं था। वो बस उसे मरता रहता था।
वो बैठी थी की तभी वहा एक लड़की आते हुए बोली आज फिर मारा ना उसने तुझे। अरे कितना सहेगी उसे छोड़ दे उस बेबड़े को।
पंखुरी खड़े होते हुए वही बने किचन मे जाकर खना निकलते हुए। कैसे छोड़ दू गजरी उसे पति है वो मेरा ।
गजरी मूह बनाते हुए बोली कहे का पति। तेरा ख्याल रखना चाहिए उसे उल्टा तुझे रखना पड़ता है उसका ख्याल.
यह कहते हुए वो उसकी मदद करने लगी।
पंखुरी छोड़ ना तू किया बाते लेकर बैठ गयी चल खना खाते है। फिर कल काम पर भी तो जाना है ना।
गजरी तेरा हमेशा का ही यही है तू हमेशा मेरी बात काट देती है।
पंखुरी नीचे ज़मीन मे बैठते हुए अच्छा बैठ और खना खा।
पंखुरी और गजरी साथ मे खना खाते है
फिर दोनों मिलकर बर्तन साफ करके वही बैठ जाते है। थोड़ी देर मे गजरी वहा से चली जाती है.
और पंखुरी वही अपने छोटे से घर जिसमे एक तरफ खाट पड़ी थी। दूसरे तरफ एक दिवार थी। जिसके पीछे किचन थी। और एक खिड़की खुली थी। और एक तरफ पर्दा पड़ा हुआ था। उसके पीछे बाथरूम था।
इस छोटे से घर मे रहते थे।
पंखुरी खिड़की खड़े होते हुए एक तक चाँद को देख रही थू। और अपना पेट सलेहा रही थी। थोड़ी देर मे वो सोने चली जाती है।
वही सुबह वो उठिथि है। तो उसका पति केशव वही ज़मीन पर सो रहा था। केशव का यह रोज का था रात को देर से आना और सुबह देर तक सोना उसे कोई मतलब नहीं था इस दुनिया से।
पंखुरी उठी और सबसे पहले उसने झूडू लगाई फिर भगवान के हाथ jhode फिर नाहा कर आकर खना बनाया और अपना खना डिब्बे मे डाला और केशव का खना रखकर वो केशव के पास आकर उसे उठाते हुए बोली।
मे जा रही हु तुम्हारा खना मेने रख दिया है खा लेना।
केशव मूह दूसरी तरफ करते हुए जा तू मेरी नींद मत ख़राब कर।और जहाँ यहाँ से बड़ी आयी मेरी फ़िक्र करने वाली।
पंखुरी उठाते हुए अपना पर्स उठाके वहा से बाहर आजाती है।
वाहर उसे गजरी मिल जाती है। गजरी,, उठ गया तेरा पति। या फिर अब भी पीके सो रहा है।
पंखुरी,, छोड़ ना उसे अब चल। वरना सेठ जी डाटागे। यह कहेके वो दोनों आगे बढ़ जाती है।पंखुरी और गजरी अच्छे दोस्त थे। दोनों मे खूब बनती थी। गजरी का भी इस दुनिया मे कोई नहीं था। तो वो पंखुरी को अपना मानती थी।
पंखुरी का भी कोई नहीं था। उसकी जिंदगी भी बहोत कथनीयों से भारी हुई थी।
माँ पहले ही मर चुकी थि। पिता भी शराबी था और उसने उसकी शादी केशव के साथ करदी। पंखुरी को लगा की केशव अच्छा होगा लिकेन वो भी ऐसा ही निकला।
शादी के थोड़े दिन बाद ही उसके पिता की भी मौत होगई। अब उसका इस दुनिया मे अपना कोई नहीं था।सिबाये गजरी के।
आगे की कहानी जाने के लिए पढ़ते रहिए मेरे साथ मेरी कहानी औरत एक शक्ति।
इस कहानी को भी वैसे ही प्यार दीजिएगा जैसे और कहानियों को दिया है
पढ़कर अपनी समीक्षा जरूर दें उससे हम लोगों का हौसला बना रहता और आगे पाठ लिखने की इच्छा और बढ़ जाती है।